इजरायल के हमले पर मुस्लिम देशों की एकजुटता: दोहा शिखर सम्मेलन में क्या-क्या हुआ?

इजरायल के हमले पर मुस्लिम देशों की एकजुटता: दोहा शिखर सम्मेलन में क्या-क्या हुआ?

कतर की राजधानी दोहा में हाल ही में हुए इजरायली हमले के बाद, दुनिया भर के मुस्लिम देशों ने एकजुट होकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान ने चेतावनी दी कि अगर मुस्लिम राष्ट्र एक साथ नहीं खड़े हुए, तो आने वाले समय में किसी भी अरब या इस्लामिक राजधानी पर हमला हो सकता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है जब सभी मुस्लिम देशों को मिलकर कार्रवाई करनी चाहिए.

हमले की पृष्ठभूमि

यह घटना 9 सितंबर 2025 को दोहा में हुई, जब इजरायल ने हमास के वरिष्ठ नेताओं को निशाना बनाते हुए हमला किया. इस कार्रवाई में छह लोगों की जान गई. हमास के ठिकाने पर हुए इस हमले को कई देशों ने कतर की संप्रभुता का उल्लंघन माना है.

अरब-इस्लामिक शिखर सम्मेलन का आयोजन

15 सितंबर 2025 को दोहा में अरब लीग और इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के तहत एक आपातकालीन शिखर सम्मेलन बुलाया गया. इसमें करीब 60 सदस्य देशों के नेता और विदेश मंत्री शामिल हुए. सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य इजरायली हमले की निंदा करना और आगे की रणनीति पर चर्चा करना था. सभी देशों ने कतर की संप्रभुता की रक्षा के लिए पूर्ण समर्थन जताया.

कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी ने कहा कि यह हमला शांति प्रक्रिया को बाधित करने की साजिश था. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इजरायल को उसके कृत्यों के लिए जवाबदेह ठहराने की मांग की.

ईरान की चेतावनी और अपील

ईरान, जो खुद जून 2025 में कतर के अल-उदीद एयर बेस पर हमले का शिकार हो चुका है, ने इस घटना पर कड़ा रुख अपनाया. राष्ट्रपति पेजेशकियान ने सम्मेलन में कहा कि इजरायल की कार्रवाइयां जारी रहेंगी अगर मुस्लिम देश एकजुट नहीं हुए. उन्होंने अन्य देशों से अपील की कि वे इजरायल से सभी संबंध तोड़ दें और एकता बनाए रखें. उनके शब्दों में, यह "नकली राज्य" से दूरी बनाने का समय है.

कतर के अमीर का आरोप

सम्मेलन की मेजबानी कर रहे कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी ने इजरायल पर सीधा हमला बोला. उन्होंने कहा कि इजरायल ने हमास के साथ शांति वार्ता में शामिल मध्यस्थों को निशाना बनाकर युद्धविराम प्रयासों को नाकाम करने की कोशिश की. अमीर ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर अरब क्षेत्र को अपने प्रभाव में बदलने का "खतरनाक सपना" देखने का आरोप लगाया.

प्रमुख देशों की भागीदारी

सम्मेलन में उन पांच मुस्लिम देशों ने भी हिस्सा लिया जो इजरायल को मान्यता देते हैं: संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, मिस्र, जॉर्डन और मोरक्को. इसके अलावा, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान, इराकी प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी, तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तय्यिप एर्दोगान और फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास जैसे प्रमुख नेता मौजूद थे.

तुर्की का कड़ा रुख

तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान ने इजरायल को "आतंकवादी मानसिकता" वाला देश बताते हुए तीखी आलोचना की. उन्होंने कहा कि इजरायल संयुक्त राष्ट्र चार्टर का खुला उल्लंघन कर रहा है और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को चुनौती दे रहा है. एर्दोगान ने नेतन्याहू सरकार पर नरसंहार जारी रखने और क्षेत्र को अराजकता में धकेलने का आरोप लगाया. उनके अनुसार, इजरायल की कार्रवाइयों पर कार्रवाई न होने से यह समस्या बढ़ रही है.

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इजरायल की आक्रामकता की कड़ी निंदा की और कतर के साथ अपनी एकजुटता दोहराई. उन्होंने मुस्लिम उम्मा (समुदाय) के भीतर एकता पर जोर दिया और कहा कि इजरायली उकसावे का सामना करने के लिए सभी को साथ आना चाहिए. शरीफ ने मध्य पूर्व में शांति के लिए दो-राज्य समाधान को न्यायसंगत और स्थायी बताया. उन्होंने कतर के अमीर से अलग बैठक में भी इजरायली आक्रामकता को तुरंत रोकने की आवश्यकता पर बल दिया.

यह शिखर सम्मेलन मुस्लिम देशों के बीच बढ़ती एकजुटता का संकेत है, जो इजरायली कार्रवाइयों के खिलाफ साझा रणनीति बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है.