"खुद का बचाव नहीं कर सकते": AI-171 पायलट के पिता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
AI-171 एयर इंडिया विमान हादसे की जांच को लेकर दिवंगत पायलट कैप्टन सुमीत सभरवाल के पिता, 88 वर्षीय पुष्कराज सभरवाल ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और न्यायिक निगरानी में स्वतंत्र जांच की मांग की है. इस हादसे में 12 जून को अहमदाबाद एयरपोर्ट से लंदन गेटविक के लिए उड़ान भरते समय एयर इंडिया फ्लाइट AI-171 दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी, जिसमें 259 यात्रियों और चालक दल के सभी 12 सदस्यों के अलावा जमीन पर मौजूद 19 लोगों की मौत हो गई थी, जिससे मृतकों की संख्या 260 पहुंच गई थी.
जांच पर उठे सवाल
पुष्कराज सभरवाल ने इंडियन पायलट्स फेडरेशन (FIP) के समर्थन में 10 अक्टूबर को एक रिट याचिका दायर की, जिसमें जांच में विश्वसनीयता और पारदर्शिता की कमी को लेकर गहरी व्यथा व्यक्त की गई है. उनका तर्क है कि विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) की जांच टीम ने जल्दबाजी में पायलटों की गलती को ही प्राथमिक कारण बताकर न्यायिक निष्पक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन किया है. चूंकि पायलट अब अपना बचाव नहीं कर सकते, इसलिए उन पर लगाए गए आरोप न्याय के विरुद्ध हैं.
जांच टीम पर दावा
याचिका में आरोप लगाया गया है कि जांच टीम में नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) के अधिकारियों की अधिकता एक गंभीर संघर्ष की स्थिति पैदा करती है, क्योंकि DGCA स्वयं विमानन नियामक है और उसकी प्रक्रियाओं, निगरानी और संभावित अनदेखी पर भी जांच होनी चाहिए. इससे यह छवि बनती है कि जांच टीम अपने आप को ही जांच रही है, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन करता है.
पायलट का अनुभव
याचिका में कैप्टन सुमीत सभरवाल के लंबे और बेदाग करियर का उल्लेख किया गया है। उनके 30 वर्ष से अधिक के करियर में 15,638 घंटे की घटनामुक्त उड़ान थी, जिसमें बोइंग 787-8 पर अकेले 8,596 घंटे की उड़ान शामिल है, जो उनके अनुभव और दक्षता का प्रमाण है.
जांच की मांग
परिवार और याचिकाकर्ता एक न्यायिक निगरानी वाली, विशेषज्ञों पर आधारित जांच समिति की मांग कर रहे हैं, जिसे एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित किया जाए और जिसमें नागरिक उड्डयन के स्वतंत्र विशेषज्ञ शामिल हों. इसका उद्देश्य त्रासदी के वास्तविक कारणों का पता लगाना, जिम्मेदारी तय करना और भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोकना है.
न्यायालय का रुख
इससे पहले, एक अन्य जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पायलटों की 'जानबूझकर ईंधन सप्लाई बंद करने के दावों को 'बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और गैर-जिम्मेदाराना' बताया था. न्यायालय ने मामले में निष्पक्ष जांच की मांग को तर्कसंगत मानते हुए केंद्र सरकार, DGCA और AAIB से जवाब तलब कर लिया है. न्यायालय ने यह भी कहा कि जांच पूरी होने से पहले सभी जानकारी सार्वजनिक करने से जांच प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है.