कैंट बोर्ड के चुनाव न कराने को लेकर मांगा जवाब
कैंट बोर्ड में चुनाव क्यों नहीं हो रहे। यह सवाल लंबे समय से उठ रहा है, लेकिन सटीक जवाब नदारद है। अब मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है। कोर्ट ने इस सिलसिले में जवाब-तलब कर लिया है। जवाब आने के बाद दिशा-निर्देश जारी होने की उम्मीद है।
माना जा रहा है कि अब हाई कोर्ट के हस्तक्षेप से ही चुनाव संभव होगा। हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कैंट बोर्ड, जबलपुर के चुनाव न कराए जाने को लेकर केन्द्र सरकार से जवाब-तलब कर लिया है। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने रक्षा मंत्रालय के सचिव, डिफेंस इस्टेट के डायरेक्टर जनरल व प्रिंसिपल डायरेक्टर को नोटिस जारी किए हैं। मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की गई है।जनहित याचिकाकर्ता कैंट के पूर्व पार्षद अमरचंद बावरिया की ओर से अधिवक्ता आरके कनौजिया ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि छावनी परिषद जबलपुर का कार्यकाल 10 फरवरी, 2020 को समाप्त हो गया था। इसके बाद दो बार छह-छह माह का कार्यकाल बढ़ाया गया और वो भी दो फरवरी, 2021 को समाप्त हो गया। अब पिछले 17 माह से बोर्ड खाली है। याचिका में कहा गया कि जनहित में चुनाव कराना जरूरी है। छावनी परिषद में उपाध्यक्ष व पार्षदों की गैर मौजूदगी के कारण जनता की समस्याओं का उचित निराकरण नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा कई जनहित के मुद्दे भी लंबित हैं, जिनको स्वीकृति नहीं मिल पा रही है।जनहित याचिका में दलील दी गई कि सुप्रीम कोर्ट ने भी पूर्व में चुनावों को लेकर दिशा निर्देश दिए हैं। इसके तहत सभी नगरीय निकायों में चुनाव कराना जरूरी है। याचिका में मांग की गई कि जनहित में छावनी परिषद के चुनाव जल्द से जल्द कराए जाएं। सुनवाई के दौरान केन्द्र शासन की ओर से असिस्टेट सालिसिटर जनरल पुष्पेन्द्र यादव ने पक्ष रखा।