अत्यधिक स्क्रीन टाइम से बच्चों के हृदय पर खतरा: नई वैज्ञानिक रिपोर्ट

अत्यधिक स्क्रीन टाइम से बच्चों के हृदय पर खतरा: नई वैज्ञानिक रिपोर्ट

एक नए अध्ययन के अनुसार, बच्चों और किशोरों के दिन में अनावश्यक रूप से बढ़ी स्क्रीन टाइम उनके दिल की सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। यह अध्ययन Journal of the American Heart Association में प्रकाशित हुआ है और भारतीय परिवारों के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक है, क्योंकि ऑनलाइन क्लासेस, गेमिंग, सोशल मीडिया की वजह से बच्चों की स्क्रीन टाइम में तेज़ी से वृद्धि हुई है।

अध्ययन की मुख्य बातें

  • शोध कैसे किया गया: यह अध्ययन डेनमार्क की दो लंबे समय तक चलने वाली फैमिली स्टडीज (COPSAC2010 और COPSAC2000) पर आधारित है, जिसमें 1,000 से अधिक माता-पिता और उनके बच्चों के आंकड़े शामिल थे।

  • आंकड़े एकत्र करने का तरीका: स्क्रीन टाइम की जानकारी माता-पिता या बच्चों द्वारा दी गई, जबकि नींद और शारीरिक गतिविधि को ऑब्जेक्टिवली मापा गया।

  • क्या मिला: हर एक घंटे की अतिरिक्त स्क्रीन टाइम (टीवी, मोबाइल, टैबलेट, गेमिंग, सोशल मीडिया आदि) से बच्चों (6-10 वर्ष) में कार्डियोमेटाबॉलिक जोखिम (हृदय और मेटाबॉलिज्म संबंधी रोगों का जोखिम) में 0.08 स्टैंडर्ड डेविएशन की वृद्धि हुई, जबकि किशोरों (18 वर्ष) में यह 0.13 थी।

  • नींद का महत्व: कम या देर से सोने वाले बच्चों में स्क्रीन टाइम से जुड़ा जोखिम और अधिक मिला। नींद की अवधि, स्क्रीन टाइम और हृदय जोखिम के बीच संबंध का लगभग 12% मध्यस्थ (मीडिएटर) है।

  • बायोमार्कर: स्क्रीन टाइम का एक विशेष "बायोमार्कर फिंगरप्रिंट" भी खोजा गया, जिसमें 37 रक्त-आधारित बायोमार्कर शामिल थे, जो इस बात का साक्ष्य हैं कि स्क्रीन टाइम से मेटाबॉलिक बदलाव आते हैं।

  • बड़ों में खतरा: किशोरों में इस बायोमार्कर के आधार पर 10 साल के अंदर वयस्क हृदय रोग का जोखिम भी अधिक आंका गया।

  • कार्य-कारण नहीं: यह अध्ययन देखता है कि स्क्रीन टाइम और हृदय जोखिम में संबंध है, लेकिन यह साबित नहीं करता कि स्क्रीन टाइम सीधे हृदय रोग का कारण है।

Regulating your children's screen time is crucial for their long-term health Photo Credit: Pexels

भारतीय बच्चों के लिए क्यों रखता है महत्व

यद्यपि यह अध्ययन डेनमार्क के बच्चों पर आधारित है, लेकिन इसके नतीजे भारत जैसे देशों के लिए भी प्रासंगिक हैं। ऑनलाइन क्लासेस और स्मार्टफोन के बढ़ते उपयोग से भारत में बच्चों की स्क्रीन टाइम पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ी है। इसके साथ ही, नींद की कमी, मोटापा, इंसुलिन प्रतिरोध जैसी समस्याएं भी बढ़ रही हैं।

स्क्रीन के आगे लगातार बैठे रहने से केवल वज़न या ब्लड प्रेशर ही नहीं, बल्कि हृदय की संरचना और कार्यप्रणाली पर भी असर पड़ सकता है। सोने से ठीक पहले मोबाइल, टीवी या टैबलेट देखने से नींद की गुणवत्ता खराब होती है, जो मेटाबॉलिक स्वास्थ्य को और नुकसान पहुंचाती है।

स्क्रीन टाइम कैसे कम करें: माता-पिता के लिए सरल सुझाव

  • रोज़ाना स्क्रीन टाइम सीमित करें: स्कूल के बाहर लीजर स्क्रीन टाइम को दो घंटे से कम रखें। खास शो या कार्टून्स के लिए ही स्क्रीन टाइम दें, जिससे घंटों की स्क्रीलिंग से बचा जा सके।

  • स्क्रीन-फ्री ज़ोन और समय बनाएं: घर के कुछ हिस्सों या समय (जैसे खाने की टेबल, प्रार्थना, व्यायाम या सोने से पहले) पर स्क्रीन पर प्रतिबंध लगाएं।

  • नींद से पहले स्क्रीन से दूरी: बिस्तर से एक घंटे पहले ही स्क्रीन बंद कर दें। सोने से पहले कहानी सुनाना, किताब पढ़ना या संगीत सुनना ऐसे विकल्प हैं जो नींद और भावनात्मक बंधन दोनों को बढ़ाते हैं।

  • खेलकूद को प्रोत्साहित करें: बाहर या घर के अंदर खेलने की आदत डालें। यह न सिर्फ स्क्रीन टाइम घटाता है, बल्कि हृदय को भी मजबूत करता है।

  • रोल मॉडल बनें: बच्चे अक्सर बड़ों की आदतें फॉलो करते हैं। फैमिली टाइम में खुद भी फोन न देखें। साथ में खाना बनाएं, बोर्ड गेम खेलें या टहलने जाएं।

  • हाथों से करने वाले शौक: रंग-बिरंगे चित्र, पजल, लोक कलाएं, कॉमिक स्ट्रिप बनाना, कहानी लिखना जैसी गतिविधियों को प्रोत्साहित करें।

  • पेरेंटल कंट्रोल का सही उपयोग: मोबाइल और टैबलेट में बच्चों के लिए समय सीमा तय करें।

  • नींद की अच्छी आदतें: बेडरूम को स्क्रीन-फ्री रखें और रोज़ाना सोने-जागने का एक नियम बनाएं। एक शांत वातावरण बनाने के लिए वॉर्म बाथ या प्रार्थना जैसे रूटीन बनाएं।

  • बातचीत करें: बच्चों को बिना डांटे समझाएं कि क्यों स्क्रीन टाइम कम करना जरूरी है। शरीर और दिमाग की सेहत के बारे में बात करें।

  • स्वस्थ जीवनशैली: अच्छी नींद, नियमित शारीरिक गतिविधि, पौष्टिक भोजन (स्थानीय फल, दालें, मोटे अनाज) और तनाव-मुक्त दिनचर्या भी जरूरी है।

यह सामग्री सामान्य जानकारी के लिए है, यह डॉक्टरी सलाह का विकल्प नहीं है। स्वास्थ्य से जुड़े किसी भी निर्णय के पहले अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर करें।