सितंबर में इतनी बारिश क्यों? उत्तराखंड में 24 घंटे में अचानक इतनी तबाही कैसे मची
सितंबर 2025 में उत्तर भारत के कई हिस्सों में अचानक भारी बारिश ने सभी को चौंका दिया है। उत्तराखंड के देहरादून में 24 घंटों में 264 मिमी बारिश हुई, जबकि हिमाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में 141 मिमी दर्ज की गई। इस बारिश ने कई घरों और दुकानों में पानी भर दिया और सड़कों को भी नुकसान पहुंचाया।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, इस बार की बारिश को क्लाउडबर्स्ट नहीं कहा गया, लेकिन मौसम की असामान्य गतिविधियों और जलवायु परिवर्तन को इसका मुख्य कारण माना जा रहा है। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी की वैज्ञानिक स्वप्नमिता चौधरी का कहना है कि मौसम की बदलती प्रक्रियाएं, पश्चिमी विक्षोभों का लंबे समय तक सक्रिय रहना और समुद्री तापमान में वृद्धि इसका कारण हैं।
आमतौर पर, पश्चिमी विक्षोभ अप्रैल के बाद खत्म हो जाते हैं, लेकिन इस साल ये अगस्त और सितंबर तक सक्रिय रहे। इस बार मानसून के दौरान 15 पश्चिमी विक्षोभ देखे गए जो सामान्य से कहीं ज्यादा हैं। इससे उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य से 180% ज्यादा बारिश हुई। हिमाचल प्रदेश में 431 मिमी बारिश (1949 के बाद सबसे ज्यादा) दर्ज हुई, जिससे 308 मौतें हुईं। पंजाब, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में भी 50% अधिक बारिश से बाढ़ की स्थिति बन गई।
एक और बड़ा कारण बंगाल की खाड़ी से आने वाली नम हवाएं हैं, जो पहाड़ों में टकराने के कारण भारी बारिश का कारण बन रही हैं। सूखी पश्चिमा और नम पूर्वी हवाओं का टकराव लगातार जारी है, जिससे अत्यधिक वर्षा हो रही है। सितंबर 2025 में IMD ने हिमाचल, उत्तराखंड, हरियाणा और दिल्ली के लिए रेड अलर्ट जारी किया है।
हिमालयी इलाकों में बारिश का पैटर्न भी बदल गया है। पहले हल्की और लंबे समय तक वर्षा होती थी, अब तेज व कम समय में झमाझम बारिश हो रही है। बारिश के दिनों की संख्या घट रही है, लेकिन हर बार की तीव्रता बढ़ गई है, जिससे कभी बाढ़, कभी भूस्खलन जैसी आपदाएँ हो रही हैं। तापमान में लगातार बढ़ोतरी के कारण वातावरण में अधिक नमी आती है, जिससे भारी बारिश संभव होती है। ऐसे में बर्फ की जगह बारिश और कभी-कभी ओलावृष्टि भी हो रही है। 2025 में अरब सागर का तापमान 1.2-1.4 डिग्री बढ़ा, जिससे और अधिक नमी पहाड़ों तक पहुंच रही है।
साथ ही, ऊँचाई वाले क्षेत्र जहाँ पहले बर्फ मिलती थी, अब भारी बारिश झेल रहे हैं। 4000 मीटर से ऊपर के इलाके, जो साल भर बर्फ से ढके रहते थे, वहाँ अब ज़ोरदार बारिश शुरू हो गई है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण पश्चिमी विक्षोभ अधिक गहरे और लंबे हो गए हैं, जिससे मानसून का चक्र भी बदल गया है और चरम मौसम की घटनाएँ बढ़ गई हैं।
सरकार को सलाह दी जाती है कि आपदा प्रबंधन को और मजबूत करें, चेतावनी प्रणाली बढ़ाएँ और किसानों को फसल सुरक्षा के लिए सलाह दें। ग्लोबल वॉर्मिंग से लड़ने के लिए स्थानीय और वैश्विक स्तर पर कार्बन उत्सर्जन कम करने के प्रयास ज़रूरी हैं।
यह सब दर्शाता है कि सितंबर की बारिश अब सामान्य नहीं रही, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन और असामान्य मौसम का परिणाम है, जिससे उत्तर भारत को बाढ़, भूस्खलन और अत्यधिक मौसमी घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है।