स्मार्ट तरीके से बनाइए फाइनेंशियल प्लानिंग
अगर आप भी अपने टैक्स से परेशान हैं तो स्मार्ट तरीके से प्लानिंग कर टैक्स बचा सकते हैं. इसके लिए आपको सिंपल तरीके अपनाने होंगे. भारत में दो प्रकार से टैक्स चुकाना होता है- प्रत्यक्ष कर (डायरेक्ट टैक्स) और अप्रत्यक्ष कर (इनडायरेक्ट टैक्स). इसमें से इनडायरेक्ट टैक्स से बचने का कोई तरीका नहीं है लेकिन डायरेक्ट टैक्स को कम जरूर किया जा सकता है.हालांकि इसके लिए खास प्लानिंग की जरूरत होती है.
Public Provident Fund (PPF)
टैक्स बचाने के लिए पीपीएफ लंबे समय से पसंदीदा टैक्स विकल्प रहा है. इसके तहत हर वित्त वर्ष में इनकम टैक्स के सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये का डिडक्शन हासिल कर सकते हैं. इसके अलावा इस पर 7-9 फीसदी का रिटर्न भी हासिल कर सकते हैं. पीपीएफ पर सरकारी गारंटी रहती है यानी कि यह सबसे सुरक्षित निवेश व टैक्स बचत विकल्पों में शुमार है.
पीपीएफ में निवेश का फायदा यह है कि इसमें जमा की गई पूंजी, ब्याज और मेच्योरिटी राशि, ये सभी टैक्स फ्री होती हैं. हालांकि इसमें निवेश की गई पूंजी 15 साल तक जमा रहती है यानी कि शॉर्ट टर्म निवेशकों के लिए यह बेहतर विकल्प नहीं है.
National Pension Scheme (NPS)
एनपीएस सरकार द्वारा स्पांसर की जाने वाली पेंशन प्लान है जिस पर टैक्स राहत भी मिलती है. टैक्सपेयर्स सेक्शन 80सीसीडी (1बी) के तहत 50 हजार रुपये के डिडक्शन का दावा कर सकते हैं और यह फायदा सेक्शन 80सी के तहत मिलने वाले बेनेफिट्स के अतिरिक्त है.
जीवन बीमा पॉलिसी के लिए चुकाया गया प्रीमियम
लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. इस पॉलिसी के लिए भरे गए प्रीमियम पर सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक के डिडक्शन का फायदा उठा सकते हैं. हालांकि यह फायदा उठाने के लिए यह जरूरी है कि इंश्योरेंस कवर प्रीमियम राशि से करीब दस गुना या इससे अधिक होना चाहिए.
National Savings Certificate (NSC)
जो टैक्सपेयर्स रिस्क नहीं झेल सकते हैं, उनके लिए टैक्स बचाने के लिए एक और सरकारी विकल्प है, एनएससी का. इसमें निवेश के लिए न्यूनतम राशि की कोई बाध्यता नहीं है लेकिन सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक के जमा पर ही टैक्स बचत का दावा किया जा सकता है. इसका लॉक-इन पीरियड 5 साल का है यानी कि रिस्क पसंद नहीं करने वाले इंडिविजुअल्स क लिए यह बेहतर शॉर्ट टर्म टैक्स सेविंग ऑप्शन हो सकता है.
Equity Linked Savings Scheme (ELSS)
टैक्स बचाने के लिए ईएलएसएस तेजी से लोकप्रिय हो रहा है क्योंकि यह इक्विटी पर आधारित है यानी बाजार से जुड़े रहने के कारण इसमें शानदार रिटर्न हासिल करने की गुंजाइश रहती है. इसके अलावा यह इसलिए भी पसंदीदा विकल्प बन रहा है क्योंकि सभी टैक्स बचत विकल्पों में सबसे कम लॉक इन पीरियड इसी का है. ईएलएसएस का लॉक इन पीरियड 3 साल है. इसमें जमा पैसों पर सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक डिडक्शन का फायदा लिया जा सकता है.
होम लोन
घर के लिए जो कर्ज लिया है, उसकी मूल राशि पर सेक्शन 80सी के तहत 1.6 लाख रुपये के डिडक्शन का फायदा ले सकते हैं. इसके अलावा होम लोन पर चुकाए गए 2 लाख रुपये तक के ब्याज पर इनकम टैक्स के सेक्शन 24बी के तहत अतिरिक्त टैक्स बचा सकते हैं.
टैक्स बचाने वाली एफडी
वरिष्ठ नागरिकों और रिटायर लोगों के लिए पांच साल की अवधि वाली टैक्स सेविंग एफडी पसंदीदा टैक्स बचत विकल्पों में शुमार है. इसके जरिए सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक डिडक्शन का फायदा लिया जा सकता है. हालांकि एफडी पर मिलने वाले ब्याज पर टीडीएस (टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स) लगता है जिसे बचाने के लिए फॉर्म 15जी दाखिल कर सकते हैं.
Sukanya Samriddhi Account
लड़कियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए सरकार द्वारा सुकन्या समृद्धि अकाउंट की सुविधा मिलती है. इसके खाते में जमा किए गए पैसों पर सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक का डिडक्शन हासिल कर सकते हैं. इस खाते में जमा किए पैसे पर ही नहीं बल्कि जमा पैसों पर मिलने वाले ब्याज पर भी टैक्स एग्जेंप्शन का फायदा मिलता है.
बच्चों की ट्यूशन फीस
अगर आपकी वेतन से आय होती है तो 2 बच्चों तक की पढ़ाई पर भी टैक्स बचत की जा सकती है. आप दो बच्चों तक की पढ़ाई के ट्यूशन फीस के लिए सेक्शन 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपये के टैक्स डिडक्शन का दावा कर सकते हैं
बचत खाते पर मिलने वाला ब्याज
आपका किसी बैंक में बचत खाता है तो इस पर जो ब्याज मिल रहा, उस पर भी टैक्स बेनेफिट्स मिलता है. 60 साल से कम उम्र के टैक्सपेयर्स बचत खाते पर 10 हजार रुपये तक के ब्याज पर और इससे अधिक उम्र के टैक्सपेयर्स यानी सीनियर सिटीजंस 50 हजार रुपये तक के ब्याज पर टैक्स बचा सकते हैं.