माइनिंग लीज मामले में नहीं हो सकती किसी की बर्खास्तगी

माइनिंग लीज मामले में नहीं हो सकती किसी की बर्खास्तगी

खदान लीज मामले में सीएम हेमंत सोरेन पर लगाये गये आरोप का मामला फिलहाल भारत निर्वाचन आयोग के पास है. आयोग के फैसले पर सबकी निगाहें हैं. सरकार भी अपने स्तर पर कानून के जानकारों से राय-मशविरा कर रही है. इधर, एक निजी टीवी चैनल को दिये गये इंटरव्यू में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस अशोक कुमार गांगुली ने कहा है कि खनन लीज मामले में हर पहलू को देखने की जरूरत है. रिटायर्ड जस्टिस ने कहा है कि ऐसे मामलों में सरकार या कोई भी बर्खास्त नहीं हो सकता. इसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के तीन जजमेंट का हवाला दिया.

रिटायर्ड जस्टिस अशोक गांगुली बोले

 खनन लीज मामले में हर तकनीकी पहलू को देखना होगा

 मुख्यमंत्री पहले ही अपने चुनावी हलफनामा में जिक्र कर चुके हैं

माइनिंग लीज का मामला सप्लाई ऑफ गुड्स बिजनेस में नहीं आता

रिटायर्ड जस्टिस ने कहा कि सीवीके राव बनाम दत्तू भसकरा -1964 में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की खंडपीठ ने स्पष्ट कहा है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9 (ए) के तहत माइनिंग लीज का मामला सप्लाई ऑफ गुड्स बिजनेस के तहत नहीं आता. 2001 में करतार सिंह भदाना बनाम हरि सिंह नालवा व अन्य और 2006 में श्रीकांत बनाम बसंत राव व अन्य मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह का निर्णय दिया था.कोई आपराधिक मामला बनता ही नहीं |