शहर में लंका बना क्राइम गढ़
वाराणसी कमिश्नरेट क्षेत्र और ग्रामीण इलाकों में आपराधिक घटनाएं रोकने को लेकर शासन गंभीर है. आमजन की मदद के लिए डायल 112 पर काल के बाद जल्द से जल्द मौके पर पीआरवी पहुंच सके, इसके लिए योजना बनाई गई है. उन जगहों पर उसे मुस्तैद रखा जाएगा, जिस थाना या चौकी क्षेत्र से ज्यादा कॉल आती है. आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले एक साल में वाराणसी कमिश्नरेट के लंका व कैंट थाना क्षेत्र में सबसे ज्यादा वारदात हुई हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में चोलापुर व चौबेपुर थाना हैं, जहां सबसे ज्यादा वारदात होती हैं.
चार साल के डाटा का अध्ययन होगा
डायल-112 पर आपातकालीन सूचना मिलने पर कम से कम समय में मौके पर पहुंचकर पीडि़तों को पुलिस सेवा उपलब्ध कराने में वाराणसी का रिपोर्ट कार्ड काफी खराब है. जिलेवार अप्रैल की जारी रिपोर्ट में प्रदेश में वाराणसी 62वें स्थान पर है. शहर में रिस्पांस टाइम 10 मिनट तो देहात में 13 मिनट 55 सेकंड है. लगभग इसी के आसपास ही पूर्वांचल के सभी जिलों की स्थिति है. इसका अध्ययन करने के बाद लखनऊ पुलिस मुख्यालय ने निर्देश दिया है कि तीन से चार साल तक डायल 112 पर आने वाली कॉल का डाटा निकाला जाए. उसका अध्ययन करने के बाद उन जगहों पर चिह्नित किया जाएगा, जहां से मदद के लिए ज्यादा कॉल आती हैं. इसके बाद उन जगहों पर पीआरवी को ज्यादा सक्रिय रखा जाएगा.