शिक्षक दिवस 5 सितम्बर को ही क्यों मनाते है।
शिक्षक दिवस शिक्षकों के सम्मान में मनाया जाने वाला एक दिन है जो कि बहुत से देशों में अलग अलग तारीख़ों को शिक्षकों के सम्मान में मनाया जाता है. इसे अंग्रेज़ी में टीचर्स डे कहा जाता है जैसे डॉक्टर्स के सम्मान में डॉक्टर्स डे , इंजीनियर्स के सम्मान में इंजीनियर्स डे मनाया जाता है वैसे ही शिक्षकों के सम्मान में टीचर्स डे मनाया जाता है। ये जितने भी देशों में शिक्षक दिवस मनाया जाता है सभी देशों में शिक्षक दिवस मनाने की अलग अलग वजह है। भारत देश में गुरु को देवता तुल्य माना गया है.भारत में हिंदू धर्म के लोगों की द्वारा शिक्षक दिवस के अलावा गुरुओं के सम्मान के लिए गुरु पूर्णिमा भी मनाई जाती। तो शिक्षा के बिना इन्सान को अधूरा माना जाता है जीवन में शिक्षा का होना बहुत ज़रूरी और शिक्षा के लिए 1 शिक्षक का होना अत्यंत आवश्यक है. शिक्षक ही है जो अपने शिष्यों को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं और सही मार्गदर्शन देते है।
बिना शिक्षा के कोई भी मनुष्य अपनी मंज़िल तक नहीं पहुँच सकता इसलिए जीवन में एक शिक्षक का होना बहुत ज़रूरी माना गया है किसी भी मनुष्य के सबसे पहले शिक्षक उसके माता पिता होते हैं शिक्षक दिवस के दिन अपने माता पिता को भी सम्मान व्यक्त करना चाहिए. भारत में गुरु शिष्य की परंपरा सदियों से चली आ रही.गुरु और शिष्य के रिश्ते को बहुत ही अनोखा और पवित्र माना गया है चूकि शिक्षक दिवस शिक्षकों के सम्मान के लिए मनाया जाता है, शिक्षक दिवस मनाने से शिक्षक और विद्यार्थी का रिश्ता मज़बूत होता है। शिक्षक दिवस मनाने से लोगों में शिक्षक के लिए जागरूकता और रुचि बढ़ती है. शिक्षक दिवस में विद्यार्थी शिक्षकों का सम्मान करते हैं जिससे शिक्षकों की रुचि अपने विद्यार्थियों के लिए और भी बढ़ जाती है शिक्षकों का महत्व विद्यार्थी के लिए और भी बढ़ जाता है.
भारत देश में शिक्षक दिवस हर वर्ष 5 सितंबर को मनाया जाता है शिक्षक दिवस 5 सितंबर को मनाने के पीछे एक कहानी है जो की डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी से जुड़ी हुई है.शिक्षक दिवस डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के ऊपर समर्पित है. डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्म 5 सितंबर 1988 तमिलनाडु के तिरुतनी गाँव में हुआ था और हर वर्ष डॉक्टर राधाकृष्णन के जन्मदिन के दिन शिक्षक दिवस मनाया जाता है. डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ग़रीब परिवार से ताल्लुक़ रखते हैं. डॉक्टर सर्वपल्ली जी का शिक्षा और राजनीति में काफ़ी ज़्यादा योगदान रहा है।
राजेन्द्र प्रसाद जी भारत के पहले राष्ट्रपति थे और उनके बाद दूसरे राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन थे। राजेन्द्र प्रसाद जी का कार्यकाल 1962 में समाप्त होने के बाद। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को राष्ट्रपति बनाया गया था.17 अप्रैल 1975 को लंबे समय से बीमारी के चलते डॉक्टर सर्वपल्ली जी का निधन हो गया था. शिक्षक दिवस शिक्षकों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का दिवस है। सभी देशों में शिक्षक दिवस अलग - अलग तरीक़ों से मनाई जाती है आम तौर पर शिक्षक दिवस के दिन शिक्षकों को बधाइयां दी जाती है वहीं बहुत से विद्यार्थी इस दिन सम्मान व्यक्त करने के लिए शिक्षकों को उपहार भेंट करते हैं. यह दिन शिक्षक और विद्यार्थियों के रिश्ते को और भी ज़्यादा मज़बूती प्रदान करता है.
शिक्षक दिवस डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को समर्पित हैं और उनके जन्मदिवस के दिन ही हर वर्ष शिक्षक दिवस मनाया जाता है. डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी बहुत बड़े दार्शनिक थे और शिक्षक में अत्यंत विश्वास रखती थी. भारत में शिक्षा और राजनीति के क्षेत्र में डॉक्टर सर्वपल्ली जी का बहुत बड़ा योगदान रहा है राधाकृष्णन जी स्वामी विवेकानंद जी से प्रेरित थे और उन्हें किताबों से गहरा प्रेम था.राजनीति में आने से पहले डॉक्टर सर्वपल्ली जी ने अपना योगदान अध्यापन को दिया था. इस तरीक़े से देखा जाए तू अपने जीवन का आधी से ज़्यादा समय डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जिन्हें अध्ययन और अध्यापन को दिया था. डॉक्टर सर्वपल्ली जी को एक आदर्श शिक्षक माना गया है. है
कहा जाता है कि डॉक्टर सर्वपल्ली जी के विद्यार्थी और मित्रों ने जब उन्हें उनका जन्म दिवस मनाने के लिए कहा तो जवाब में डॉक्टर राधाकृष्णन जी का कहना था कि उनका जन्म दिवस "शिक्षक दिवस" के रूप में मनाया जाए तो उन्हें बहुत गर्व होगा. शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रूप में हर वर्ष मनाया जाने लगा।