जेरमी लालरिनुंगा की कहानी

जेरमी लालरिनुंगा की कहानी

बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत के युवा वेटलिफ्टर जेरेमी लालरिनुंगा ने जैसे ही गोल्ड मेडल जीता, हजारों किलोमीटर दूर उनके घर में माता-पिता और भाई खुशी से झूम उठे। जेरेमी ने बर्मिंघम में 67 किग्रा वर्ग में पोडियम पर टॉप करने के लिए कुल 300 किलो वजन उठाया। इस दौरान उन्होंने स्नैच में 140 किलो जबकि क्लीन एंड जर्क में 160 किलो उठाकर गोल्ड मेडल को सुनिश्चित किया। इसके साथ ही उन्होंने एक नया गेम रिकॉर्ड भी बनाया। जेरेमी की इस सफलता के बाद उनके घर में बधाइयों का तांता लग गया। जेरेमी के माता-पिता को बधाई देने के लिए शहर भर से रिश्तेदार आइजोल के सरकारी क्वार्टर वाले घर में आने लगे।


 इस दौरान जेरेमी की मां लालमुमपुई खुशी के आंसू नहीं रोक पाईं। बेटे के गोल्ड मेडल जीतने के बाद ही उनके पिता, लालनीहटलुंगा, फोन को नीचे नहीं रख सके क्योंकि यह नॉनस्टॉप बज रहा था। जेरेमी के पिता आइजोल पीडब्ल्यूडी में काम करते हैं।जेरेमी के पिता उनके स्पर्धा से पहले काफी तनाव में थे। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि उनका बेटा गोल्ड मेडल जीत पाएगा। जूनियर लेवल के मुक्केबाज रह चुके जेरेमी के पिता ने कहा, 'जेरेमी को यह गोल्ड आसानी से नहीं मिला। इसके लिए उन्होंने कड़ी ट्रेनिंग की। यह बहुत ही दर्द की कीमत पर मिली है।' बता दें कि 19 साल के जेरेमी जब क्लीन एंड जर्क के अपने अंतिम प्रयास के लिए गए उस दौरान वह 165 किलो का वजन नहीं उठा सके थे। हालांकि इसके बावजूद शुरुआती बढ़त के कारण उन्हें गोल्ड मिला।