भारत और अमेरिका संबंध: ट्रंप की नरमी के बावजूद भारत की सतर्क रणनीति

भारत और अमेरिका संबंध: ट्रंप की नरमी के बावजूद भारत की सतर्क रणनीति

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के प्रति अपनी भाषा में नरमी दिखाई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'महान प्रधानमंत्री' बताते हुए भारत-अमेरिका के रिश्तों को "विशेष संबंध" कहा। वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप की सराहना करते हुए सकारात्मक प्रतिक्रिया दी, किंतु उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप को 'मित्र' न कहते हुए एक संतुलित और सतर्क प्रतिक्रिया दी।

पृष्ठभूमि: व्यापार, तेल और कूटनीति

  • अगस्त में अमेरिका द्वारा भारतीय सामानों पर 50% टैरिफ (शुल्क) लगाने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था।

  • अमेरिका ने भारत पर आरोप लगाया कि वह रूस से कच्चा तेल खरीदकर रूस की अर्थव्यवस्था को मज़बूत कर रहा है, जिससे यूक्रेन युद्ध शांत कराने के अमेरिकी प्रयासों पर असर पड़ रहा है।

  • मोदी सरकार ने स्पष्ट रूप से अमेरिकी दबाव के बावजूद कहा कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के अनुसार, जहाँ से और जैसे भी ज़रूरी समझेगा, तेल ख़रीदेगा।

ट्रंप की रणनीति और मोदी की सतर्कता

  • ट्रंप ने रिश्तों को लेकर सकारात्मक बयान जरूर दिए, लेकिन भारत सरकार अब पिछले अनुभवों के मद्देनज़र ज़्यादा भरोसा नहीं जता रही है।

  • भारतीय अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल किसी बड़े बदलाव या संबंधों की 'रीसेटिंग' की संभावना नहीं है—सरकार संकेतों का इंतजार कर रही है, ताकि रिश्तों के वास्तविक भविष्य का अंदाजा लगाया जा सके।

  • जानकारों का मानना है—यह ट्रंप की 'आर्ट ऑफ द डील' रणनीति का हिस्सा है, जिसमें पहले आक्रामकता, फिर नरमी का इशारा देकर बातचीत में दबाव बनाने की कोशिश होती है।

वैश्विक समीकरण और भारत का रुख

  • हाल ही में पीएम मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ एक क्षेत्रीय सम्मेलन में तस्वीरें सामने आईं, जिन्हें अमेरिका-भारत रिश्तों में 'कड़ा संदेश' माना गया।

  • ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा, “हमने भारत और रूस दोनों को चीन की ओर खो दिया है,” जो उनकी चिंता और असहमति को दर्शाता है।

आर्थिक और सामरिक मुद्दे

  • अमेरिका लगातार चाहता है कि भारत अपने कृषि, डेरी और अन्य बाजारों को अमेरिकी उत्पादों के लिए खोले, लेकिन भारत अपने रुचि-संरक्षण में पीछे नहीं हटा।

  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि भारत अपने हितों के अनुसार ही तेल की खरीद करेगा।

  • विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी बयान दिया कि भारत-अमेरिका रिश्तों को पीएम मोदी अत्यधिक महत्व देते हैं, लेकिन हर नीति हमारे राष्ट्रीय हितों के अनुरूप ही होगी।

विश्लेषण और निष्कर्ष

  • विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के सतर्क और संतुलित रुख से यह संकेत जाता है कि वह किसी भी तरह की बाहरी दबाव नीति में नहीं आयेगा।

  • अमेरिका और भारत के बीच संबंध प्रगाढ़ और रणनीतिक जरूर हैं, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में भारत हर कदम फूंक-फूंककर रख रहा है।

  • यह मामला सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति-संतुलन और भू-राजनीतिक कूटनीति से भी जुड़ा है।