'पायलट की गलती बताना...' एयर इंडिया प्लेन क्रैश की रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट नाराज, केंद्र और DGCA को नोटिस
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने 2025 में अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया के AI-171 विमान हादसे को लेकर दायर जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई की।
इस मामले में अदालत ने एयर इंडिया प्लेन क्रैश को महज ‘पायलट की गलती’ बताने वाली रिपोर्ट्स और मीडिया खबरों को गंभीरता से लिया और इसे ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया।
अदालत के सामने तर्क दिए गए थे कि प्रारंभिक रिपोर्ट में पायलटों ने ईंधन सप्लाई जान-बूझकर काट दी, इस बात का जिक्र है, लेकिन अदालत ने इसे ‘गैर-जिम्मेदाराना’ बताया।
क्या है पूरा मामला?
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12 जून 2025 को अहमदाबाद में एयर इंडिया के बोइंग 787 विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने से 260 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें से 19 ज़मीन पर मौजूद लोग थे।
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इस हादसे के बाद जांच शुरू हुई, लेकिन 100 दिन बीत जाने के बाद भी सिर्फ प्रारंभिक रिपोर्ट जारी हुई है, पूरी जांच रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं हुई।
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प्रशांत भूषण, जो याचिकाकर्ताओं की ओर से अदालत में पेश हुए, ने कहा कि प्रारंभिक रिपोर्ट में पायलट एरर की ओर इशारा किया गया, जिसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने तेज़ी से फैला दिया, जबकि पायलट दोनों अनुभवी थे।
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वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट, जो सरकारी अथॉरिटी को सौंपे जाने से पहले ही बाहर आ गई थी, में कहा गया था कि पायलटों ने ईंधन काट दिया, लेकिन कॉकपिट ऑडियो में जो बातचीत थी, वो फुटनोट तक ही सीमित थी और इस आधार पर शुरुआती अटकलें लगाई गईं।
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भूषण ने दलील दी कि DGCA की जाँच टीम में उसी विभाग के अधिकारी हैं, जिससे निष्पक्षता पर सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (BDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) को सार्वजनिक करने की मांग की, ताकि असली कारण सामने आ सके।
सुप्रीम कोर्ट का क्या है स्टैंड?
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जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन.के. सिंह की पीठ ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए गोपनीयता के महत्व पर जोर दिया, लेकिन स्वतंत्र जांच की अनिवार्यता पर भी सहमति जताई।
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कोर्ट ने मीडिया को चेतावनी दी – ‘अटकलें न लगाएं, जब तक पूरी तरह जांच न हो जाए तब तक किसी तरह का ठोस दावा करना उचित नहीं है।’
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कोर्ट ने केंद्र सरकार, DGCA और AAIB से चार हफ्ते में जवाब मांगा है।
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ज़रूरत और सावधानी के बीच संतुलन – अदालत ने कहा, ‘निष्पक्ष जांच जरूरी है, लेकिन अगर डाटा रिकॉर्ड ज़रूरत से ज़्यादा सार्वजनिक हो गया तो यह पीड़ित परिवारों के लिए और भी मुश्किल बना सकता है।’
क्या अब आगे?
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याचिका पर जारी नोटिस के बाद अब सरकारी एजेंसियों को जांच पूरा कर अदालत में जवाब देना होगा।
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पारदर्शिता और निष्पक्ष जांच पर जनता और प्रभावित परिवारों की नज़रें टिकी हैं।
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अब तक की जानकारी के मुताबिक, अभी भी कोई फाइनल रिपोर्ट जारी नहीं हुई, न ही कोई गाइडलाइन बनाई गई है, जिससे यात्रियों में संशय बना हुआ है।