रॉलेट एक्ट 1919 क्या है?
Rowlatt Act 1919
रॉलेट एक्ट कानून सर सिडनी रौलेट की अध्यक्षता वाली सेडिशन समिति की शिफारिशों के आधार पर बनाया गया था।अंग्रेज सरकार ने 1916 में न्यायाधीश सिडनी रौलट की अध्यक्षता में एक समिति गठित की, जिसका कार्य भारत में क्रांतिकारी आतंकवाद को कुचलने के लिए एक प्रभावी योजना का निर्माण करना था।
रॉलेट एक्ट का सरकारी नाम अराजक और क्रांतिकारी अपराध अधिनियम, 1919 (The Anarchical and Revolutionary Crime Act of 1919) था। रॉलेट एक्ट को 'काला कानून' भी कहा जाता है। रॉलेट एक्ट, 1919 के माध्यम से ब्रिटिश सरकार का मुख्य उद्देश्य क्रांतिकारी गतिविधियों को कुचलने के नाम पर भारतीयों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को समाप्त करना था।
रॉलेट एक्ट, 1919 (Rowlatt Act, 1919) की मुख्य बातें
- बिना वारंट के तलाशी, गिरफ़्तारी तथा बंदी प्रत्यक्षीकरण के अधिकार को रद्द करने की शक्ति ।
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मौलिक अधिकारों पर अंकुश लगाया गया ।
- 2 साल तक बिना किसी ट्रायल के राजनीतिक कैदियों को हिरासत में रखने की अनुमति।
- अदालत में बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद करने का अधिकार।
- राजद्रोह के मुकदमे की सुनवाई के लिए एक अलग न्यायालय की स्थापना।
- मुकदमे के फैसले के बाद किसी उच्च न्यायालय में अपील करने का अधिकार नहीं।
- अपराधी को उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने वाले का नाम जानने का अधिकार नहीं।
- जजों को बिना जूरी की सहायता से सुनवाई करने का अधिकार।
- प्रेस की स्वतंत्रता का दमन।
- अपनी इच्छा अनुसार किसी व्यक्ति को कारावास देने अधिकार।
- देश से निष्कासित कर देने अधिकार।
रॉलेट एक्ट, 1919 के विरुद्ध सत्याग्रह - प्रथम जन आंदोलन
रौलट एक्ट के विरोध में पूरे देश में विरोध प्रारंभ हो गया। इस कानून के विरोध में देशव्यापी हड़तालें, जूलूस और प्रदर्शन होने लगे। इस कानून को भारतीयों ने काला कानून कहा। मदन मोहन मालवीय और मोहम्मद अली जिन्ना ने रॉलेट एक्ट, 1919 के विरोध में केंद्रीय व्यवस्थापिका की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया।
महात्मा गाँधीजी ने रॉलेट एक्ट, 1919 के विरोध में व्यापक देशव्यापी आंदोलन का आह्वान किया। रॉलेट एक्ट सत्याग्रह गांधीजी द्वारा किया गया राष्ट्रीय स्तर का प्रथम जन आंदोलन था। गांधीजी को बड़े पैमाने पर होमरूल लीग के सदस्यों का समर्थन मिला था।
सत्याग्रह प्रारंभ करने के लिए 6 अप्रैल की तारीख तय की गई, किंतु तारीख की गलतफहमी के कारण सत्याग्रह प्रारंभ होने से पहले ही आंदोलन में हिंसक स्वरूप धारण कर लिया। कोलकाता, मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद, अमृतसर, लाहौर में हिंसात्मक प्रतिरोध प्रारंभ हो गया। मजबूर होकर सरकार को सेना का सहारा लेना पड़ा ।
तत्पश्चात 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना घटित हुई। इसके बाद अनेक स्थानों पर आंदोलनकारियों ने अहिंसा का मार्ग त्याग कर हिंसा का मार्ग अपनाया । इस कारण 18 अप्रैल 1919 को गांधी जी ने अपना सत्याग्रह समाप्त घोषित कर दिया।