रिकार्ड गर्मी के सामने बिजली संयंत्रों की फूली सांस; कई राज्यों में बिजली कटौती, राजनीतिक तापमान भी चढ़ा
एक तरफ तेज होती औद्योगिक गतिविधि और दूसरी ओर देश के अधिकांश हिस्से में रिकार्ड तोड़ गर्मी की वजह से बिजली की मांग भी रिकार्ड स्तर पर पहुंचती जा रही है। ऐसे में कोयले की कमी की वजह से ताप बिजली संयंत्रों की पूरी कोशिश के बावजूद बिजली की मांग और आपूर्ति का अंतर बढ़ता जा रहा है। इस महीने 28 अप्रैल तक देश में बिजली की मांग अप्रैल, 2021 के मुकाबले 12.1 फीसद ज्यादा रही है। जबकि कम से कम 16 राज्यों से बिजली की कटौती की सूचनाएं हैं।
आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, गुजरात जैसे राज्यों में बिजली की आपूर्ति मांग के मुकाबले 500 मेगावाट से 1500 मेगावाट तक कम है। केंद्र सरकार का कहना है कि गुरूवार को बिजली की मांग 2.046 लाख मेगावाट रही थी जो मई-जून, 2022 में 2.20 लाख मेगावाट तक जा सकती है।
उधर, पेट्रो उत्पादों पर शुल्क वसूली के बाद कोयला आपूर्ति को लेकर भी केंद्र और राज्यों के बीच जबरदस्त आरोप -प्रत्यारोप चल रहा है। खास तौर पर विपक्षी दलों की पंजाब, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, झारखंड की तरफ से मौजूदा बिजली संकट के लिए केंद्र को घेरने की कोशिश जारी है।
दूसरी तरफ केंद्र सरकार का कहना है कि कोयला संकट के लिए एक बड़ी वजह राज्यों के बिजली संयंत्रों की तरफ से समय पर कोयला की ढुलाई नहीं करवाना और समय पर कोल इंडिया के बकाये का भुगतान नहीं करना है। देश की सबसे बड़ी कोयला उत्पादन कंपनी कोल इंडिया का कहना है कि अभी भी सभी राज्यों पर संयुक्त तौर पर 15,600 करोड़ रुपये का बकाया है।
इसके साथ ही केंद्र सरकार ने बिजली संकट को देखते हुए पावर एक्सचेंज में बिजली की कीमत की मौजूदा उच्चतम सीमा 12 रुपये प्रति यूनिट को और नीचे लाने की सोच रही है। केंद्र की ओर से राज्यों को 10 फीसद तक आयातित कोयला मिलाने को कहा है लेकिन राज्य हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं। जबकि यह भी स्पष्ट किया गया है कि इससे बिजली की कीमत में मामूली अंतर आएगा।
उधर, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलौत ने राज्य में बिजली की आपूर्ति मांग से 4,000 मेगावाट कम होने की बात कही है और सोशल साइट पर इस हालात के लिए केंद्र को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि है कि केंद्र पर्याप्त कोयला नहीं दे पा रही है इसलिए बिजली संकट पैदा हुआ है।
आंध्र प्रदेश सरकार ने कहा है कि बार बार अनुरोध के बावजूद केंद्र से पर्याप्त कोयला आपूर्ति नहीं होने से बिजली मांग और आपूर्ति के बीच 1.50 करोड़ यूनिट का अंतर पैदा हो गया है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने राज्य में बिजली संकट को लेकर बिजली मंत्री आरके सिंह से मुलाकात की और उन्होंने अगले एक पखवाड़े के लिए अतिरिक्त 500 मेगावाट बिजली आपूर्ति की मांग की।
बिजली की ऐसी मांग पिछले चार दशकों में देखने को नहीं मिली है। इस मांग को पूरा करने के लिए ताप बिजली संयंत्रों को रोजाना 22 से 24 लाख टन कोयला की जरूरत है जबकि कोल इंडिया की तरफ से रोजाना 17 लाख टन कोयला की आपूर्ति की जा रही है। रेलवे रैक की कमी भी कोयला को खदान से बिजली संयंत्रों तक पहुंचाने में एक बड़ी अड़चन के तौर पर सामने आई है।