तानाशाहो ने सोने की 'लंका' को बर्बाद कर दिया
तत्कालीन सोने की लंका ,कुबेर की लंका रावण की लंका तबाह हो गया | आज का श्रीलंका विश्व के छोटे देशों में से एक होने के बावजूद समृद्ध राष्ट्रों की कतार में खड़ा था ,लेकिन सरकारी सत्ताधीशों के व्यक्तिगत लाभ ,स्वार्थ और जानबूझकर की गई नादानियों के कारण श्रीलंका अपना सब कुछ बर्बाद कर चूका है | पिछले दिनों जिस तरह प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के भवनों पर आक्रोशित असंख्य भूखे और बेरोजगार नागरिकों ने हमला किया ,आगजनी की तोड़ -फोड़ की है,वह विश्व के उन नेताओं की आँखे खोलने के लिए काफी है ,जो सत्ता के नशे में आम नागरिको को कीड़े -मकोड़े से अधिक नहीं समझते और उनका भला करने के बजाय अपनी उल्टी -सीधी हरकतों उन्हें त्रस्त करते रहते हैं |
भारत सरकार ने अपने पड़ोसी धर्म का खूब निर्वाह अपनी क्षमता के अनुसार उसकी उसकी आर्थिक स्थिति को रास्ते पर लाने के लिए किया ,लेकिन एक राष्ट्र की सेवा दो करोड़ से अधिक आबादी वाले अपने पडोसी का कोई कितना ख्याल रख सकता है , समुद्र पार करके उसकी कितनी मदद कर सकता है | जबकि ,श्रीलंका का झुकाव पहले चीन की तरफ था और अपनी अंतरिम आर्थिक स्थिति का भगिदार उसे पहले ही बना चुका था ,जिसने अपना एक बंदरगाह भी उसके हवाले करके बेच दिया था |
दरअसल, श्रीलंका समुद्र से उभरा हुआ पहाड़ है, जहां फसलें कम होती हैं। चाय, मसाले, रबड़ और हार्टिकल्चर की तमाम फसलें उसकी इकॉनमी थी। शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रतिव्यक्ति आय, प्रति व्यक्ति जीडीपी में लंका के आंकड़े वैश्विक स्तर के थे। कुल मिलाकर श्रीलंका दक्षिण एशिया का सबसे समृद्ध देश था। प्रभाकरण को मारकर राजपक्षे और उनका परिवार जनता का हृदय सम्राट बन गया। बहुमत पर बहुमत मिला, ताकतवर सरकार बनी। ताकतवर सरकार, यानी बाजार, व्यापार, बैंक, अर्थव्यवस्था, कानून, कोर्ट और मीडिया सब पर पूरा नियंत्रण।
तभी आज तक श्रीलंका में राजपक्षे परिवार की तानाशाही थी। तानाशाह को साइंस, टेक्नोलॉजी, हिस्ट्री, सिविक्स, एग्रीकल्चर, बैंकिंग, बिजनेस, खेल, स्पेस, राडार; यानी दुनिया की हर चीज के बारे में व्यापक जानकारी होती है। डिक्टेटर भला आदमी होता है, उसकी नीयत में खोट नहीं होती, तो राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने निर्णय लिया कि ‘हमारा देश विश्वगुरु बनेगा।’ और, वह वहीं मात खा गए। एकदम आर्गेनिक! एक दिन घोषणा कर दी कि आज से देश मे फर्टिलाइजर बैन, कीटनाशक बैन! किसी तरह के केमिकल का देश में उपयोग नहीं होगा। जो ऐसा करेगा, सजा पाएगा। देश रातों-रात आर्गेनिक हो गया। राष्ट्रपति का दुनिया में डंका बजने लगा। यूएन ने तारीफ की, लेकिन वैज्ञानिकों ने कहा, “नहीं, इससे श्रीलंका का कृषि क्षेत्र तबाह हो जाएगा।”