मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने किसानों की खुशहाली के लिए खींची नई लकीर
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने किसानों की खुशहाली के लिए खींची नई लकीर
केंद्र सरकार के साथ तालमेल बनाकर राज्य की शिवराज सरकार ने किसानों की खुशहाली के लिए नई लकीर खींची है। गेहूं की बिक्री के लिए कभी सरकार के नियंत्रण वाले खरीद केंद्रों पर निर्भर किसान अब किसी के मोहताज नहीं रह गए हैं। विश्व बाजार में गेहूं की मांग बढ़ने और व्यवस्था के सरलीकरण के कारण न केवल व्यापारी उनके दरवाजे पहुंचने लगे हैं, बल्कि समर्थन मूल्य से अधिक कीमत चुकाकर वे भरोसा दे रहे हैं कि किसानों को अपनी उपज को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है।
मध्य प्रदेश उन राज्यों में शामिल हो चुका है जो अनेक देशों को बड़ी मात्र में गेहूं का निर्यात कर रहे हैं। इस वर्ष प्रदेश ने नवाचार के साथ इस दिशा में कदम बढ़ाए तो बांग्लादेश, इंडोनेशिया, श्रीलंका, संयुक्त अरब अमीरात और वियतनाम को साढ़े तीन लाख टन गेहूं का निर्यात किया जा चुका है। कई अन्य देशों में निर्यात को लेकर चर्चा चल रही है। उम्मीद है कि इस वर्ष 20 लाख टन गेहूं का निर्यात होगा। इससे स्थानीय बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ी है, जिसका लाभ किसानों को मिल रहा है। यह बदलते हुए प्रदेश की तस्वीर है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मंत्र है कि आपदा में अवसर की तलाश होनी चाहिए। शिवराज सरकार मध्य प्रदेश में इसे चरितार्थ करके दिखा रही है। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से हाल के दिनों में विश्व बाजार में गेहूं की मांग बढ़ी है। कई देशों की निगाह भारत पर लगी हुई है। पिछले साल प्रदेश ने किसानों से 128 लाख टन गेहूं की खरीद की थी, जबकि इसके पूर्व के वर्ष में 129 लाख टन से अधिक गेहूं खरीदकर पंजाब को पीछे छोड़कर देश में नया रिकार्ड बनाया था। गुणवत्ता के कारण देश-विदेश में यहां के गेहूं की मांग अच्छी खासी है। यही वजह है कि राज्य सरकार ने गेहूं का निर्यात बढ़ाने पर जोर दिया है। सरकार के प्रोत्साहन से निर्यातकों ने अभी तक राज्य से साढ़े तीन लाख टन गेहूं का निर्यात चार देशों में किया है। यह पहला मौका है जब गेहूं का निर्यात इस स्तर पर बढ़ा है। पहले भी गेहूं का निर्यात होता था, लेकिन नाम मात्र का। हालांकि बासमती चावल का निर्यात ठीकठाक होता था। वर्ष 2020-21 में इस चावल का निर्यात 1.27 लाख टन किया गया था, लेकिन गेहूं का निर्यात सीमित था।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से मिलकर प्रदेश की निर्यात योजना को समर्थन एवं प्रोत्साहन देने की मांग की। केंद्र से मिले भरोसे के बाद राज्य सरकार ने गेहूं खरीद में लगे व्यापारियों को कई सहूलियत देकर प्रोत्साहित किया। उन्हें मंडी शुल्क में छूट दी गई। अभी तक प्रति सौ रुपये की खरीद पर डेढ़ रुपये मंडी शुल्क लगता रहा है।
सरकार ने तय किया कि मध्य प्रदेश के किसानों से खरीदे गए गेहूं का निर्यात 2023 तक करने पर मंडी शुल्क की प्रतिपूर्ति सरकार द्वारा की जाएगी। इसके साथ ही व्यापारियों के पंजीयन की व्यवस्था का सरलीकरण भी किया गया है। उनके लिए अलग से हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है, ताकि कोई समस्या हो तो त्वरित समाधान हो सके। मंडी बोर्ड में विशेष प्रकोष्ठ भी गठित किया गया है। इससे निर्यातकों में विश्वास पैदा हुआ है। इस बीच 19.81 लाख किसानों ने समर्थन मूल्य पर उपज बेचने के लिए इस वर्ष पंजीयन कराया है, लेकिन इनमें भी उन किसानों की संख्या अधिक है जो उपार्जन केंद्रों पर गेहूं बेचने के बजाय सीधे व्यापारी को ऊंचे दाम पर दे रहे हैं।